बच्चों के लिए सर्वोत्तम नैतिक कहानियाँ ,Moral stories for children in hindi

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लक्ष्य की प्राप्ति Moral stories for children in hindi

एक लड़के ने एक बार एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया। वह धन कमाने के लिए कई दिनों तक मेहनत कर धन कमाने के पीछे पड़ा रहा और बहुत सारा पैसा कमा लिया। इसी बीच उसकी मुलाकात एक विद्वान से हो गई।


विद्वान के ऐश्वर्य को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया और अब उसने विद्वान बंनने का निश्चय कर लिया और अगले ही दिन से धन कमाने को छोड़कर पढने-लिखने में लग गया। वह अभी अक्षर ज्ञान ही सिख पाया था,


की इसी बीच उसकी मुलाकात एक संगीतज्ञ से हो गई। उसको संगीत में अधिक आकर्षण दिखाई दिया, इसीलिए उसी दिन से उसने पढाई बंद कर दी और संगीत सिखने में लग गया !


इसी तरह काफी उम्र बित गई, न वह धनी हो सका ना विद्वान और ना ही एक अच्छा संगीतज्ञ बन पाया। तब उसे बड़ा दुख हुआ। एक दिन उसकी मुलाकात एक बहुत बड़े महात्मा से हुई।

उसने महात्मन को अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा ने उसकी परेशानी सुनी और मुस्कुराकर बोले, “बेटा, दुनिया बड़ी ही चिकनी है, जहाँ भी जाओगे कोई ना कोई आकर्षण ज़रूर दिखाई देगा।


एक निश्चय कर लो और फिर जीते जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हें सफलता की प्राप्ति अवश्य हो जाएगी,

नहीं तो दुनियां के झमेलों में यूँ ही चक्कर खाते रहोगे। बार-बार रूचि बदलते रहने से कोई भी उन्नत्ति नहीं कर पाओगे। ”युवक महात्मा की बात को समझ गया और एक लक्ष्य निश्चित कर उसीका अभ्यास करने लगा।


सच्ची लगन (Inspirational Short Story In Hindi For Students)

एक शख्स सुबह सवेरे उठा साफ़ कपड़े पहने और सत्संग घर की तरफ चल दिया ताकि सतसंग का आनंद प्राप्त कर सके।चलते चलते रास्ते में ठोकर खाकर गिर पड़ा, कपड़े कीचड़ से सन गए वापस घर आया।


कपड़े बदलकर वापस सत्संग  की तरफ रवाना हुआ फिर ठीक उसी जगह ठोकर खा कर गिर पड़ा और वापस घर आकर कपड़े बदले, फिर सत्संग की तरफ रवाना हो गया।

जब तीसरी बार उस जगह पर पहुंचा तो क्या देखता है की एक शख्स चिराग हाथ में लिए खड़ा है और उसे अपने पीछे पीछे चलने को कह रहा है। इस तरह वो शख्स उसे सत्संग घर के दरवाज़े तक ले आया।


पहले वाले शख्स ने उससे कहा आप भी अंदर आकर सतसंग सुन लें। लेकिन वो शख्स चिराग हाथ में थामे खड़ा रहा और सत्संग घर  में दाखिल नही हुआ।


दो तीन बार इनकार करने पर उसने पूछा आप अंदर क्यों नही आ रहे है …?

दूसरे वाले शख्स ने जवाब दिया “इसलिए क्योंकि मैं काल हूँ,

ये सुनकर पहले वाले शख्स की हैरत का ठिकाना न रहा। काल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा मैं ही था जिसने आपको ज़मीन पर गिराया था।


जब आपने घर जाकर कपड़े बदले और दुबारा सत्संग घर की तरफ रवाना हुए तो भगवान ने आपके सारे पाप क्षमा कर दिए।

जब मैंने आपको दूसरी बार गिराया और आपने घर जाकर फिर कपड़े बदले और फिर दुबारा जाने लगे तो भगवान ने आपके पूरे परिवार के गुनाह क्षमा कर दिए।


मैं डर गया की अगर अबकी बार मैंने आपको गिराया और आप फिर कपड़े बदलकर  चले गए तो कहीं ऐसा न हो वह आपके सारे गांव के लोगो के पाप क्षमा कर दे,इसलिए मैं यहाँ तक आपको खुद पहुंचाने आया हूँ।

अब हम देखे कि उस शख्स ने दो बार गिरने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार फिर  पहुँच गया और एक हम हैं यदि हमारे घर पर कोई मेहमान आ जाए या हमें कोई काम आ जाए तो उसके लिए हम सत्संग छोड़ देते हैं, भजन जाप छोड़ देते हैं।


क्यों….?

क्योंकि हम जीव अपने भगवान से ज्यादा दुनिया की चीजों और रिश्तेदारों से ज्यादा प्यार करते हैं।

उनसे ज्यादा मोह हैं। इसके विपरीत वह शख्स दो बार कीचड़ में गिरने के बाद भी तीसरी बार फिर घर जाकर कपड़े बदलकर सत्संग घर चला गया।


क्यों…?

क्योंकि उसे अपने दिल में भगवान के लिए बहुत प्यार था। वह किसी कीमत पर भी अपनी बंदगीं का नियम टूटने नहीं देना चाहता था।इसीलिए काल ने स्वयं उस शख्स को मंजिल तक पहुँचाया, जिसने कि उसे दो बार कीचड़ में गिराया और मालिक की बंदगी में रूकावट डाल रहा था, बाधा पहुँचा रहा था !

इसी तरह हम जीव भी जब हम भजन-सिमरन पर बैठे तब हमारा मन चाहे कितनी ही चालाकी करे या कितना ही बाधित करे, हमें हार नहीं माननी चाहिए और मन का डट कर मुकाबला करना चाहिए।


एक न एक दिन हमारा मन स्वयं हमें भजन सिमरन के लिए उठायेगा और उसमें रस भी लेगा।

बस हमें भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और न ही किसी काम के लिए भजन सिमरन में ढील देनी हैं। वह मालिक आप ही हमारे काम सिद्ध और सफल करेगा। इसीलिए हमें भी मन से हार नहीं माननी चाहिए और निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।

लालची लड़का (Best mortal story in hindi)

बहुत समय पहले किसी नगर के एक छोर पर एक गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था। वह दिन-रात अपने खेत में काम करता, फिर भी, उसके पास हमेशा धन की कमी ही बनी रहती थी।

गर्मियों का मौसम था। बहुत गर्मी पड़ रही थी। ब्राह्मण काम करते हुए थक गया, तो अपने पेड़ के नीचे जा कर लेट गया। अचानक उसने चींटियों के बिल से एक बड़े से सांप को बाहर आते देखा।

ब्राह्मण बहुत ही नेक और सब पर भरोसा करने वाला था। उसे लगा कि वह सांप खेत का रखवाला है। क्योंकि उसने कभी उसे भोग नहीं लगाया इसलिए वह नाराज है। शायद इसीलिए वह कभी अमीर नहीं बन पाता।

उसने तय किया कि वह सांप की पूजा करेगा और रोज उसे दूध पिलाया करेगा। वह दूध से भरा कटोरा ले आया, जिसे उसने सांप के बिल के पास रख दिया। उसने सांप से उसकी देखरेख न करने की माफी भी मांगी।

अगली सुबह उसने पाया कि दूध का कटोरा खाली था और उसमें सोने का एक सिक्का रखा था।

इसके बाद तो ब्राह्मण रोज सांप के बिल के बाहर पूजा करके दूध से भरा कटोरा रख देता और अगली सुबह दूध का कटोरा । खाली मिलता। हां, उसमें सोने का एक सिक्का जरूर रखा होता!

एक दिन, ब्राह्मण को किसी काम से दूसरे गांव जाना पड़ा। ब्राह्मण को लगा कि वहां उसे कुछ दिन लग जाएंगे। उसे चिंता होने लगी कि उस दौरान उसके सांप की पूजा कौन करेगा ?

उसे दूध का कटोरा कौन देगा? उसने अपने बेटे से कहा कि वह सांप के लिए दूध का कटोरा रख आया करे। ब्राह्मण के बेटे ने अपने पिता की आज्ञा को माना।

उसने वही किया, जो उसके पिता ने उसे बताया था। इसलिए अगली सुबह उसके बेटे को भी खाली कटोरे में सोने का सिक्का रखा हुआ मिला।

ब्राह्मण का बेटा बहुत लालची और मक्कार था। उसे लगा कि अगर सांप रोज एक सिक्का देता है तो इसका मतलब है चींटियों की पूरी बांबी सिक्कों से भरी होगी। उसने तय किया कि वह रोज एक सिक्का लेने की बजाए सांप का ही काम तमाम कर देगा !

ताकि उसे सारे सिक्के एक साथ मिल जाएं। उसने एक बड़ा-सा मजबूत डंडा अपने हाथ में ले लिया और सांप के बिल से बाहर आने की प्रतीक्षा करने लगा। ज्यों ही सांप बाहर आया, उसने उसके सिर पर डंडे से वार किया।

उसका वार पूरी तरह से निशाने पर नहीं लगा, इसलिए सांप केवल घायल हो गया, वह मरा नहीं। ब्राह्मण के बेटे की इस हरकत पर सांप को बहुत गुस्सा आया। उसने ब्राह्मण के बेटे को डंस लिया। लालची लड़का सांप के विष से वहीं ढेर हो गया।

ब्राह्मण का काम जल्दी खत्म हो गया इसलिए वह दूसरे ही दिन गांव वापस आ गया। वह खेत में गया। वहां उसने अपने बेटे को मरा हुआ पाया। सांप अपने बिल में वापस जा चुका था।


पास पड़े मोटे डंडे को देखकर उसे एहसास हो गया कि उसके बेटे की ही गलती रही होगी, जिसका मोल उसे अपनी जान दे कर चुकाना पड़ा। अपने पुत्र का अंतिम संस्कार करने के बाद वह फिर से दूध का कटोरा ले कर सांप की पूजा करने चल दिया।

ज्यों ही सांप ने उसे आता देखा तो उसे याद आ गया कि ब्राह्मण के बेटे ने उसे । घायल किया था और उसने उसे काटा था जिससे वह मर गया है।


अब वह किसी भी दशा में ब्राह्मण पर विश्वास नहीं कर सकता था। उसने यह बात ब्राह्मण से नहीं कही। उसने ब्राह्मण से मिली सेवा के बदले में उसने किसान को कुछ नही किया और उसके बाद हमेशा के लिए फिर वह किसान को कभी दिखाई नहीं दिया। सांप वहां से गायब हो गया।

मानव चरित्र

एक बार एक जिज्ञासु व्यक्ति ने एक संत से प्रश्न किया, “महाराज, रंग रूप, बनावट प्रकृति में एक जैसे होते हुए भी कुछ लोग अत्यधिक उन्नति करते हैं। जबकि कुछ लोग पतन के गर्त में डूब जाते हैं। संत ने उत्तर दिया, “तुम कल सुबह मुझे तालाब के किनारे मिलना।

तब मैं तुम्हे इस प्रश्न का उत्तर दूंगा। अगले दिन वह व्यक्ति सुबह तालाब के किनारे पहुंचा। उसने देखा कि संत दोनों हाथ में एक एक कमंडल लिए खड़े हैं।

जब उसने ध्यान से देखा तो पाया कि एक कमंडल तो सही है। लेकिन दूसरे की पेंदी में एक छेद है। उसके सामने ही संत ने दोनों कमंडल तालाब के जल में फेंक दिए।


सही वाला कमंडल तो तालाब में तैरता रहा।

लेकिन छेद वाला कमंडल थोड़ी देर तैरा, लेकिन जैसे जैसे उसके छेद से पानी अंदर आता गया।वह डूबने लगा और अंत में पूरी तरह डूब गया।


संत ने जिज्ञासु व्यक्ति से कहा- “जिस प्रकार दोनों कमंडल रंग-रूप और प्रकृति में एक समान थे।

किंतु दूसरे कमंडल में एक छेद था। जिसके कारण वह डूब गया। उसी प्रकार मनुष्य का चरित्र ही इस संसार सागर में उसे तैराता है।

जिसके चरित्र में छेद (दोष) होता है। वह पतन के गर्त में चला जाता है। लेकिन एक सच्चरित्र व्यक्ति इस संसार में उन्नति करता है। जिज्ञासु को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया।

हेलो दोस्तो, आज आपकी ये स्टोरी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं और हम इंस्टाग्राम पर फालो करें !

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